जीतिया व्रत (जीवितपुत्रिका) कब है ? नहाये खाय ,पूजा विधि : क्या है जीतिया के पीछे की कहानी
नमस्कार दोस्तों ,एक माँ का अपने संतानों के प्रति प्रेम इस जगत में किससे छुपा है ? चाहे वो कोई भी धर्म विशिष्ट हो, भले ही वो इंसान हो या पशु-पक्षी अथवा जीवन का कोई और ही रूप हो परन्तु इस संसार की हर जननी अपने संतानों से अत्यधिक स्नेह करती है | इस स्नेह को ही विष के समक्ष प्रकट करता है विशेष जीतिया व्रत |
आज हम बात करने जा रहे हैं हिन्दू धर्म विशेष के एक ऐसे ही व्रत जीवितपुत्रिका व्रत के बारे में जिसे की क्षेत्रीय भाषा एवं बोली के अनुसार जीतिया नाम से भी जाना जाता है |यह व्रत भारत के उत्तरी खंड में अत्यधिक लोकप्रिय है | वैसे तो एक माता को अपने पुत्र के प्रति स्नेह एवं ममता भाव अभिव्यक्त करने हेतु किसी विशिष्ट दिवस की आवश्यकता नहीं होती है | परन्तु जीवितपुत्रिका व्रत माताएं अपने संतानों की लम्बी उम्र एवं अच्छे स्वास्थ्य के आशय से रखती हैं एवं इसके अंतर्गत अपने आशय की पूर्ती हेतु परमपिता परमेश्वर से प्रार्थनाएं करती हैं| तो चलिए पहले इस वर्ष 2023 में इस व्रत की जानकारी आपको विस्तार से दी जाए |
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इस वर्ष 2023 में जीतिया व्रत कब है?
6 अक्टूबर को नहाये खाए है , जिसमे व्रतिनि स्वयं को इस व्रत की हेतु सज्ज करेंगी एवं अपने अपने घरो में नौनी का साग अवश्य बनायेंगी | आपको बता दें की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नौनी का साग मिनरल्स का एक अच्छा स्त्रोत है जो की व्रत के दौरान आपके शारीर को कमजोर पड़ने से बचाता है |
7 अक्टूबर इस व्रत का दूसरा चरण है जो की है व्रत का दिन , चूँकि 7 अक्टूबर को ही सप्तमी रहित अष्टमी पड़ रही है अतः 7 को व्रत करना लाभदायक है , इसी दिन रजा जीमूतवाहन की आकृति बनाकर उन्हें पूजा भी जाता है
8 अक्टूबर को प्रातः काल इस व्रत का आखिरी चरण है जब व्रतिनी पारण करेंगी एवं अपने व्रत को संपन्न करेंगी
जीतिया व्रत के विषय में क्या है ज्योतिषों का दृष्टिकोण ?
इस वर्ष 2023 में जीवितपुत्रिका के सन्दर्भ में असमंजस को दूर करने हेतु वाराणसी में विद्वात्गानो की हुई बैठक में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चन्द्रमा पाण्डेय व प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय एवं काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद् व सम्पूर्नंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ज्योतिष नागेन्द्र पाण्डेय व युवा ब्रम्हां चेतना मंच के संयोजक डा.सुभाष पाण्डेय व पंडित अखिलानंद मिश्र ज्योतिधाचार्य के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया की सप्तमी विद्या अश्तिमी का त्याग करते हुए उदय्कालीन अष्टमी में 7 अक्टूबर को जीवितपुत्रिका व्रत शास्त्र सम्मत है | ज्योतिष शास्त्र से पंचांग है ना की पंचांग से ज्योतिष शास्त्र |
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की सप्तमी युक्त अष्टमी करने पर सात जन्मो तक बंध्या और बार बार विधवा होना पड़ता है | अतः 7 अक्टूबर को व्रत एवं 8अक्टूबर को सूर्योदय के बाद पारण करें |
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क्या है जीतिया के पीछे की कहानी ?
इस व्रत के पीछे पुरानो में बेहद ही रोचक कथा पायी गयी है जिसके अनुसार कुछ स्त्रियाँ गौतम ऋषि के पास एक प्रश्न लेकर पहुचीं की प्रभु कलयुग में संतानों की दीर्घायु के लिए आप हमें कोई ताप या व्रत बताइए | गौतम ऋषि ने बताया की सतयुग में जीमूतवाहन नाम के एक राजा थे | उन्होंने एक युवती से उसके दुःख का कारण पूछा तो युवती ने बताया की उसके गाँव के बच्चों को प्रतिदिन गरुड़ आकर खा जाता है |
राजा ने पक्षिराज गरुड़ को प्रसन्न कर के वर माँगा की उन्होंने जिन जिन बच्चो को खाया है वह सभी जीवित हो जाएँ और एक और आश्वासन माँगा की आप कभी भी आगे से इन निर्दोष बच्चों को न खाएं | पक्षिराज गरुड़ ने उनके मांगो को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया एवं एक और वरदान दिया की हे राजन तुमने आज आश्विन मॉस के कृष्णा पक्ष अष्टमी तिथि को मुझसे ये वरदान पाया है | तुमने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष सप्तमी से रहित शुभ अष्टमी तिथि को मुझसे इस प्रजा के लिए जीवन मांगी है | अतः आज से यह दिन ब्रम्ह्भव हो गया | आज से जो भी स्त्रियाँ आज की तिथि में कुश की आकृति बनाकर तुम्हारा पूजन करेंगी तो दिनों दिन उसका सौभाग्य बढेगा एवं वंश की भी वृद्धि होती रहेगी |
किस तिथि को करें जीतिया का व्रत ?
सप्तमी से रहित और उदय्तिथि की अष्टमी को करें | यानि की सप्तमी विद्ध अष्टमी जिस दिन हो उस दिन व्रत ना कर शुद्ध अष्टमी को व्रत करें और नवमी को पारण करें |
इस वर्ष 2023 में जीवित्पुत्रिका का व्रत 6 अक्टूबर से ले कर 8 अक्टूबर 2023 तक है|
6 अक्टूबर को नहाये खाए है, 7 को व्रत है एवं 8 को पारण करना उचित है
क्यूँ करते हैं राजा जीमूतवाहन की पूजा ?
पक्षिराज गरुड़ प्रतिदिन की तरह एक बार पुनः उस राज्य में बच्चे का सेवन करने आये तो उन्हें कोई बच्चा नहीं मिला | बच्चों के स्थान पर उन्हें रजा जीमूतवाहन स्वयं मिले| राजा ने गरुड़ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया एवं स्वयं को परोस दिया | गरुड़ ने जैसे ही राजा का एक हाथ खाया तो राजा ने स्वयं ही उन्हें अपना दूसरा हाथ दे दिया | राजन की हरकत से पक्षिराज चकित रह गए एवं उन्होंने राजन से पुछा की आप कौन हैं ? पक्षिराज राजा से प्रसन्न हो गए एवं उन्हें वरदान दिया की आज से आश्विन मॉस की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को आपका पूजन किया जायेगा|
कैसे करें जीवितापुत्रिका पूजन ?
- सर्वप्रथम सूर्योदय काल में स्नान कर के स्वयं को पवित्र कर लें
- यदि संभव हो तो ब्रह्ममुहूर्त में स्नान ध्यान कर लें
- याद रहे यदि आप व्रतिनी हैं तो टूथब्रश का उपयोग ना ही करें , दतवन अथवा दातुन का इस्तेमाल करें
- पूजा स्थल को निप लें अथवा साफ़ कर लें
- गो माता के गोबर की सहायता से सियारिन एवं चिह्वी की मूर्ति बनाएं
- राजा जीमूतवाहन की आकृति को कुश की सहायता से बनाएं
- विधि पूर्वक पूजन करें एवं व्रत की कथा अवश्य सुनें
- कथा पश्चात् आरती करना ना भूलें
- व्रत सफतापूर्वक संपन्न करने के पश्चात् दान धर्म अवश्य करें
- अगले सुबह ब्रम्ह्मुहुर्त्त के पश्चात् सूर्योदय के समय पारण कर लें
6 अक्टूबर या 7, कब है जीतिया ?
हालांकि कुछ पंचांग एवं न्यूज़ चैनल आपको जीतिया हेतु उपयुक्त तिथि 6 अक्टूबर बता रहे होंगे और कुछ जगह से आपको पता चल रहा होगा की 7 को है व्रत | देखिये , सर्वप्रथम इस बात को ध्यान में धरिये की जीवित्पुत्रिका का व्रत शुद्ध अष्टमी तिथि को मनाया जाता है ना की सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को | और इस प्रकार से देखा जाए तो 6 अक्टूबर को अष्टमी तो है परन्तु सप्तमी तिथि का भी अंश है परन्तु 7 अक्टूबर को पूर्ण रूप से अष्टमी तिथि है | अतःएव व्रत 6 के स्थान पर 7 को करना पंचांग को विचार में रखते हुए ज्यादा सही है |